*Image credit: IPRD, Jharkhand

पर्यटक या श्रद्धालु पारसनाथ के दर्शन के लिए मधुबन से पैदल और डोली के माध्यम से ही जा सकते हैं। पर्यटको द्वारा मोटर साईकिल या अन्य वाहन से दर्शन के लिए ऊपर जाना प्रतिबंधित रहेगा। वृद्ध एवं दिव्यांग पर्यटकों या श्रद्धालुओं को अत्यंत विशेष परिस्थिति में ही जिला प्रशासन वाहन के उपयोग की अनुमति देगा। इसे तत्काल प्रभाव से लागू करें। जनजातीय संस्कृति के संवर्धन एवं विकास के लिए मरांगबुरू का मंदिर भी पर्यटन प्लान के तहत बनाया जाएगा। जैन धर्म एवं स्थानीय लोक सांस्कृतिक परम्पराओं यह अनुपम उदाहरण होगा। झारखण्ड मंत्रालय में आयोजित पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित जल मंदिर के जीर्णोद्धार सहित समग्र पर्यटकीय विकास संबंधित बैठक की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह बात कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पक्ष अपने-अपने दायित्वों का एक टाइमलाईन के तहत कार्य करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग से संबंधित मामले 15 सितम्बर 2018 तक भेज दिए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि तीन माह के अंदर वन विभाग सभी पहलुओं की जांच करते हुए अपना क्लीयरेंस दें। स्थानीय नागरिकों जिनकी जीविका पर्यटकों से जुड़ी हुई उनका खास ध्यान रखा जाए। पारसनाथ पहाड़ी की नैसर्गिता और वन्य पशुओं सहित समस्त जैवविविधता सहित तमाम जल स्रोतों का संरक्षण करते हुए पर्यटन की दृष्टि से विकास होगा।

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डाॅ सुनील कुमार वर्णवाल, भूमि राजस्व सचिव कमल किशोर सोन, पेयजल स्वच्छता सचिव आराधना पटनायक, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार, पर्यटन सचिव मनीष रंजन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी लाल रत्नाकर सिंह, मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी आनन्द मोहन शर्मा, गिरिडीह के उपायुक्त मनोज कुमार, एसपी गिरिडीह सुरेन्द्र कुमार झा आदि उपस्थित थे।  
 

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